पापा के दोस्त की बीवी को चोदकर अपना खाता खोला – Padosan Aunty Ki Chudai

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हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम अरुण शर्मा है।

मै नोएडा का रहने वाला हूँ। मै Antarvasna Stories का नियमित पाठक हूँ।

मेरी उम्र लगभग 19 साल है, मै आप को अपने जिंदगी की पहली चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मैंने किसी लड़की को नही चोदा है, मैंने सबसे पहले अपने पापा के दोस्त की बीवी को चोदकर अपना खाता खोला।

मेरा घर नोएडा के मार्केट में है।

मेरे घर मे केवल पापा, मम्मी और मै रहता हूँ।

मेरे पापा एक प्राइवेट कम्पनी में मैनेजर है।

मेरे पापा के साथ उसी कम्पनी में उनके दोस्त भी काम करते है और उनका घर मेरे घर के बगल में ही है।

उनके भी कोई बच्चे नही क्योकि उनकी शादी को कुछ ही दिन हुए है।

पापा के दोस्त की बीवी बहुत हॉट है, मै कभी कभी उनके घर जाता हूँ किसी काम से तो,

,मेरी नजर तो उन पर ही टिक जाती है क्योकि वो इतनी अच्छी है ही।

उनकी गोरा सा चेहरा, बड़ी बड़ी आंखे और बिल्कुल भरा हुआ लाल लाल गई और होठ तो बहुत ही मस्त है।

बहुत ही पतले लाल लाल और दिखने में बहुत ही रसीले।

उनको को देख कर कोई भी उनकी तरफ आकर्षित हो जायेगा।

एक बार मै उनके घर गया था

अंकल जी ऑफिस गये हुए थे मै उनके घर पहुंचा।

दरवाज़ा खुला हुआ था मै सीधे घर में घुस गया,

मैंने देखा आंटी जी बाथरूम में नहा रही थी और बाथरूम का दरवाजा बंद था।

मै सोफे पर बैठ कर उनका इंतजार करने लगा, कुछ देर बाद वो बाथरूम से बाहर निकली,

उनको लगा की घर में कोई नही है इसलिए वो केवल टू पीस बिकनी में थी।

मेरी नजर उन पर पड़ी, मै तो उनको देखता ही रह गया।

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उनका गोरा बदन मेरे नजरो में चमक रहा था।

उनके ब्रा से उनकी आधी चूची बाहर निकली हुई थी, जोकि बहुत ही मस्त लग रही थी।

और उनकी पैंटी तो बिल्कुल चिपकी हुई थी।

उनका गोरे और चिकने जांघ को देख कर मेरा लंड तो खड़ा हो गया।

जैसे ही आंटी ने मुझे देखा वो जल्दी से अपने कमरे में चली गई और फिर कुछ देर बाद कपडे पहन कर निकली।

मैंने उनसे कहा – “आप को मम्मी ने घर बुलाया है, कुछ देर में अभी आ जाना”।

उन्होंने कहा ठीक है लेकिंन तुम अंदर कैसे आये??

मैंने कहा – दरवाज़ा खुला था, कोई भी अंदर आ सकता है बंद करके रखा करिये।

मै वहां से घर चला आया लेकिन मेरे दिमाग में केवल उनकी ही फोटो आ रही थी बिकनी में।

कुछ देर बाद वो मेरे घर आई, और अम्मी से बात करने लगी,

मम्मी ने उनसे कहा – “कुछ दिनों बाद मै अपने घर जा रही हूँ और घर में किसी को खाना बनाना नही आता है।

जब मै चली जाउंगी तो तुम इन लोगों के लिये भी थोडा खाना बना लेना”।

उन्होंने कहा – “ठीक है मै कर दूंगी आप चिंता ना करे”।

धीरे धीरे समय बीता¸ मम्मी की कुछ दिनों के लिये मामा के घर जाना था।

और अचानक से पापा और उनके दोस्त को भी कुछ दिनों के लिये दिल्ली जाने के लिये उनके बॉस ने कहा।

मम्मी और पापा दोनों एक साथ ही घर से जा रहे थे।

जिस दिन मम्मी को जाना था उस दिन उन्होंने आंटी से कहा – “अब तो हम दोनों लोग घर नही रहेंगे केवल अरुण ही घर रहेंगा।

तुम केवल उसके लिये ही खाना बना लेना।

और तुम्हारे पति भी तो कुछ दिनों के लिये दिल्ली जा रहें है, तुम दोनों आराम से घर रहना”।

आंटी ने कहा – “मै उसका पूरा ख्याल रखूंगी अपने बेटे की तरह आप चिंता मत करिये”।

मम्मी पापा और पापा के दोस्त सभी लोग चले गये, अब अपने घर में मै और आंटी अपने घर में आकेली बची थी।

सुबह के 9 बज रहें थे, आंटी मुझे बुलाने आई, उन्होंने मुझसे कहा – “अरुण चलो चाय पी लो”।

मैंने उनसे कहा आप चलिए मै अ रहा हूँ।

मै उनके घर चाय पीने आया।

मैंने और आंटी दोनों ने साथ में चाय पीया।

उन्होंने मुझसे कहा – “तुम चाहो तो मेरे ही घर आया जाओ, दिन भर यहाँ रहना और रात को घर चले जाना’।

मैंने कहा ठीक है। मै अभी ताला लगा के आता हूँ। मैंने अपने घर में ताला लगा दिया और उनके घर आ गया।

जब मै पहुंचा तो वो किचन में थी, मै उनके पास गया और उनसे कहा कोई मदत करू??

तो उन्होंने कहा नही तुम बस मुझसे बाते करो बाकि काम मै खुद ही कर लूंगी।

मैंने उनसे कहा – “आप अकेले घर पर बोर नही होती है”।

तो उन्होंने कहा – “हाँ होती तो हूँ पर क्या करूँ”।

बात करते करते खाना बन गया। हमने खाना खाया और फिर आराम करने लगे।

धीरे धीरे शाम हुई, और आंटी रात का खाना बनाने लगी।

रात हुई हम लोगो ने खाना खाया और मै अपने घर सोने के लिये जा रहा था।

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तो उन्होंने कहा – “तुम चाहो तो यहीं लेट जाओ”।

मैंने कहा – ठीक है लेकिन कहा लेटूँ।

उन्होंने कहा – “तुम बाहर सोफे पर लेट जाओ।

और मै अपने कमरे में लेट जाउंगी”।

हम लोग लेट गये, कुछ देर में मै सो गया, आधी रात को मेरी आँख खुली मुझे प्यास लगी थी।

और फ्रीज़ आंटी के कमरे में थी।

मै पानी लाने उनके कमरे में गया।

मैंने जैसे ही लाइट जलाई तो वो केवल ब्रा और पैंटी में लेटी हुई थी।

मै उनको देख कर बेकाबू होने लगा था।

उनकी चूची तो मेरी आँखों में चमक रही थी।

मेरा मन तो उनको चोदने को कर रहा था लेकिन ऐसा करना ठीक नही रहेगा मैंने सोचा।

मै पानी लेकर वहां से चला आया।

अपनी पीने के बाद मै लेट गया, मुझे नीद नही आ रही थी।

मेरे लंड खड़ा था, मैंने अपने लंड को पकड कर मुठ मारने लगा।

कुछ देर में मेरी सांसे बढने लगी, मै मचल रहा था।

और थोड़ी ही देर में मेरे वार्य निकलने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था।

सुबह हुई, फिर पूरा दिन मैंने आंटी से बातें की और उनके बारे में बहुत कुछ जाना भी।

फिर रात हुई, हम लेट गये, मुझे नीद नही आ रही थी, मैंने जान कर उनके के कमरे में पानी पीने के बहाने से चला गया।

वो सो रही थी, मै अपने आप को उनके पास जाने से रोक नही पाया।

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मै उनके बेड पर उनके बगल बैठ गया और अपने हाथो से उनकी चूची को सहलाने लगा।

मैंने कुछ देर तक तक उनकी चूची को सहलाया और फिर मैंने अपने हाथ को उनकी चूत को सहलाने लगा।

मेरा तो लंड पूरा खड़ा हो गया था।

आंटी भी सायद जाग गई थी लेकिन वो कुछ नही कर रही थी और अपनी आंखे बंद किये हुए चुपके से लेटी हुई थी।

मैंने बहुत देर तक उनकी मम्मो को मसला।

कुछ देर बाद मै जाने लगा , तो आंटी ने मेरा हाथ पकड लिया , और मुझसे कहा – “मुझे गरम करके तुम कहाँ जा रहें हो??

अब मेरी कम से कम तुम मेरी चुदाई तो करते जाओ।

जब उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा तो मेरी तो मेरी सांसे ही रुक गई थी, लेकिन जब उन्होंने कहा –

“मेरी चुदाई कर दो मै बहुत चुदासी हो गई हूँ तो मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगा था”।

मै उनके बगल बैठ गया और उनके हाथो को पकड कर चूमने लगा।

मैंने उनसे कहा – “आप जाग रही थी, तो उठी क्यों नही??

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तो उन्होंने कहा – “अगर मै पहले उठ जाती तो तुम चले जाते और मेरा भी मन कर रहा था चुदने का।

मेरे पति रोज मुझे चोदते थे, इसलिए मै भी चुदाई के लिये परेशान थी।

मुझे तो कल अपनी चूत में उंगली करके काम चलाना पड़ा था”।

मैंने उनके हाथो को चुमते हुए उनके गले को चुमते हुए उनकी पतली और रसीली होठ पर पहुंचा,

मैंने उनके होठ को किसी भूखे की तरह अपने मुह में भर लिया और होठो को पीने लगा।

आंटी भी धीरे धीरे और गरम होने लगी, उन्होंने भी मुझको कस के पकड लिया और अपने जीभ को मेरे मुह में डाल दिया

और मेरे होठो को अपने नुकीले और धारदार दांतों से काटकर पीने लगी जिससे मै बहुत ही बहुत ही जोश में आ गया था।

मैं उनके होठो को शराब के प्याले की तरह पी रहा था।

कुछ देर बाद मैंने भी अपने जीभ को उनकी मुह में डाल दिया और उनके निचले होठ को अपने दांतों से खिचने लगा,

जिससे आंटी भी कामातुर होके मुझसे और भी लिपट गई और हम एक दूसरे के होठो को किसी दो प्रेमी जोड़े की तरह लिपट की पी रहें थे।

मुझे बहुत मजा आ रहा था। लागतार 40 मिनट तक मै उनकी रसीली होठो को पीता रहा।

फिर मैंने उनके गले को पीते हुए उनकी मम्मो तक पहुंचा।

उनकी चूची तो गजब की थी, मैंने अपनी जिंदगी में कभी भी किसी की चूची नही छुई थी।

जब मै उनकी चूची को छुआ तो मुझे बहुत अच्छा लगा।

मैंने उनके मम्मो को दबाते हुए उनके ब्रा को निकाल दिया, और उनके बड़े, काफी मुलायम और चिकनी चूची को मसलते हुए अपने मुह में भर कर पीने लगा।

मैंने उनकी चूची को अपने मुह में भर लिया और उनके कमर को सहलाते हुए पीने लगा।

और आंटी अपने बदन को ऐठने लगी और मेरे सर पर अपना हाथ फेरने लगी।

वो बड़े ही मस्ती से अपने मम्मो को मुझसे चुसवा रही थी।

फिर मैंने उनकी काली निप्पल को अपने दांतों से काटने लगा जिससे आंटी जोर जोर से ..

आह अहह आह्ह्ह उम्म्म उनहू उनहू … आराम से आह्ह्ह … करके चीखने लगी।

उनकी मम्मो को 30 मिनटों तक पीने के बाद मैंने अपने हाथ को उनकी पैंटी पर फेरने लगा।

जिससे आंटी और भी ज्यादा कामातुर होने लगी और अपने हाथो से अपने मम्मो को दबाने लगी।

मैंने उनकी पैंटी को चाटते हुए उनके पैंटी को निकाल दिया और उनकी कमसिन और मलाई की तरह मुलायम चूत को अपने उंगलियो से फैला कर सहलाने लगा।

जिससे आंटी सिसकने लगी¸ मैंने उनकी चूत को फैलाते हुए

अपने उंगलियो से उनकी चूत की लाल और लटकती हुई दाने को रगड़ते हुए अंदर डालने लगा,

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धीरे धीरे मै अपनी उंगलियो को तेजी से और फैलाते हुए डालने लगा।

जिससे आंटी सहल जाती और जोर जोर से … अहह आह्ह्ह ह्ह्ह उनहू उनहू .. उफ़ … करके चीखने लगी।

बहुत देर तक मै उनकी चूत में ऊँगली करता रहा।

कुछ देर बाद उनके चूत से पानी निकलने लगा और आंटी तो अपने शरीर को ऐंठते हुए सिसक रही थी।

उनकी चूत से पानी निकलने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला, जोकि काफी मोटा और बड़ा था।

मैंने इससे पहले किसी की चुदाई नही किया।

मैंने अपने लंड को उनकी चूत में डालने के लिये उनकी चूत पर सहलाने लगा,

कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को उनकी चूत में डाल दिया।

लेकिन मेरा लंड उनकी चूत में सही जगह पर नही जा रही थी,

तो आंटी ने मुझे पूछा – क्या तुम पहली बार चुदाई कर रहें हो क्या??

मैंने कहा – हाँ ये मेरी पहली चुदाई है।

आंटी ने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत की छेद में लगा दिया और मुझसे चोदने को कहा।

इसबार मैंने जोर लगाया और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया।

मैं धीरे धीरे उनकी चूत को चोद रहा था, लेकिन कुछ ही देर में मेरे अंदर का शैतान जाग गया और मेरी रफ़्तार धीरे धीरे बहुत तेज होने लगी।

मुझे तो बहुत ही मजा आ रहा था।

और मेरे मोटे लंड से आंटी की चूत में दर्द हो रहा था जिससे वो धीरे धीरे सिसकने लगी थी।

कुछ ही देर मेरी रफ़्तार ट्रेन के स्पीड के बराबर होने लगी।

जैसे जैसे मेरी स्पीड बढ़ रही थी, वैसे वैसे मेरा लंड उनकी चूत को जल्दी फाड़ते हुए अंदर जाता और बाहर आता,

जिससे उनकी चूत से चट चट चट की आवाज़ लगातार आने लगी और उनके मुह से जोर जोर से

……“……मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ… प्लीसससससस……..प्लीसससससस, उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…” माँ माँ….ओह…………अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्……उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह…..चोदोदोदो…..मुझे और कसकर चोदोदो दो दो दो मुझे मजा आ रहा है……. करके चीख रही थी।

मै लगातार उनके मम्मो को मसलते हुए उनकी चूत बजा रहा था।

जिससे आंटी अपने आप को रोक ना पाई और उनके चूत फिर से गीली हो गई।

मै लगातार उनकी चुदाई कर रहा था, मैंने नेट पर पढ़ा था, जब गिरने वाले हो तो अपना लंड बाहर निकाल लो।

मुझे लगा मै गिरने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड निकाल लिया और आंटी को किस करने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उनकी चूची को ब्रेड की तरह सटा दिया और उनकी चूची को चोदने लगा।

आंटी को भी मजा आ रहा था। मै उनकी चूची को दबाये हुए लगातार उनकी चूची को चोद रहा था।

कुछ देर बाद मैंने आंटी के पैरों को उठा दिया और उनकी चूत में अपने लंड को रगड़ते हुए फिर से उनकी चुदाई करने लगा।

इसबार तो मै उनकी चूत को बड़ी तेजी से चोद रहा था, मेरा लंड उनकी नाजुक चूत को चीरते हुए अंदर जा रहा था,

जिससे वो अपने मम्मो को दबाते हुए जोर जोर से चीख रही थी।

लगातार उनकी चूत चोदने के बाद मैंने उनको करवट कर दिया और अपने लंड को उनके गांड में डालने के किये उनके गांड को थोडा सा अपने हाथो से फैला दिया।

और अपने लंड को उनके गांड में डाल दिया।

पहले तो मै धीरे धीरे उनकी गांड मार रहा था, कुछ देर बाद मैंने अपने लंड को तेजी से उनके गांड में डालने लगा,

जिससे आंटी की गांड फटी जा रही थी और वो जोर जोर से …

आअह आह्ह अहह .. उफ उफ़ उफ़ .. मम्मी मम्मी .. ओह ओह … प्लीस्स्स ,… आराम से … अह्ह्ह… करके चीखने लगी।

मुझे तो बहुत ही मजा आ रहा था।

कुछ देर बाद मेरा माल निकने वाला था, मैंने पने लंड को उनकी गांड से निकाल लिया और आंटी के हाथो में पकड़ा दिया।

आंटी मेरे लंड को चूसते हुए मुठ मारने लगी।

मै तो अपने अपने शरीर को ऐंठ रहा था। कुछ देर बाद मेरा माल निकलने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था।

फिर मैंने बहुत देर तक किस किया।

और कुछ देर बाद मैंने फिर से आंटी की एक राउंड चुदी की।  

उसके बाद तो तीन चार राउंड दिन में और दो राउंड रात में हम चुदाई करते।

अब तो मै एक्सपर्ट हो गया था चुदोई करने में।

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उसके बाद जब भी मुझे टाइम मिलता और चोदने का मन करता मै दिन में आंटी के घर चला गता और उनकी खूब चुदाई करता।

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